जज़्बात ढल गए हों,
गर तो -
एहसासों को पनपने देना.
जिंदगी की नादान दौड़ में
किसी सांस को सँभालने देना .
मुश्किलातों के काफिले में
तुम फंसे लगते हो -
ऐ मुसाफिर -
मौका लगे तो काफिले से
खुद को कभी निकलने देना .
पल दो पल के मायने
छोटी खुशियों में नज़र आएंगे
ठहरना , रुकना , थामना कभी
उन खुशियों को आवाज़ भी देना
जो ज़बान पर आ न सके
वो तो दिलकश लफ्ज़ थे
वक़्त आने पर कभी
उनकी दिलकशी निखारने देना ..
जज़्बात ढल गए हों,
गर तो -
एहसासों को उगने देना.
जिंदगी की नादान दौड़ में
किसी सांस को सँभालने देना .
Massst Kavi......
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