गलियाँ इतनी हैं अँधेरी
देखो कहीं हम डर न जायें
रात है छोटी ये मगर पर
देखो कहीं हम खो न जायें
तंग रास्तों के इस जहाँ में
कई मंजिला सपने हैं
पर जल्द हकीकत से मिलने को
कहीं, सपने वो बदसूरत हो न जायें
आज बागीचों ठंडी हवाओं का
साथ बदस्तूर जारी है
पर पतझड़ की गर्म हवाओं में
कहीं साथ न इनका छूट जाये
किसी दूर जहाँ में लगता है
उन सुरीली आवाजों का वो अब भी मेला
चलो चलें उस मेले में'
कहीं, ये सांस कि मद्धम हो न जाये
गलियाँ इतनी हैं अँधेरी
देखो कहीं हम डर न जायें.........
देखो कहीं हम डर न जायें
रात है छोटी ये मगर पर
देखो कहीं हम खो न जायें
तंग रास्तों के इस जहाँ में
कई मंजिला सपने हैं
पर जल्द हकीकत से मिलने को
कहीं, सपने वो बदसूरत हो न जायें
आज बागीचों ठंडी हवाओं का
साथ बदस्तूर जारी है
पर पतझड़ की गर्म हवाओं में
कहीं साथ न इनका छूट जाये
किसी दूर जहाँ में लगता है
उन सुरीली आवाजों का वो अब भी मेला
चलो चलें उस मेले में'
कहीं, ये सांस कि मद्धम हो न जाये
गलियाँ इतनी हैं अँधेरी
देखो कहीं हम डर न जायें.........
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