कुछ पल आराम के
कभी तो निकालिये
कुछ लम्हे खामोशियों के
शोर में भी पहचानिये.
यूँ तो ज़िन्दगी हमेशा
जीने का एहसास है
कुछ वक़्त ज़िन्दगी के
नज़ाकत से संवारिये .
है रौशनी से दोस्ती
ये तुमको- मुझको मालूम है
पर कभी अँधेरे की
मासूमियत को पहचानिये .
यूँ तो है ज़माने भर से
बेइंतेहा दुश्मनी
दुश्मनी के आईने में
कभी खुद को जानिये .
कुछ पल आराम के
कभी तो निकालिये...........
कभी तो निकालिये
कुछ लम्हे खामोशियों के
शोर में भी पहचानिये.
यूँ तो ज़िन्दगी हमेशा
जीने का एहसास है
कुछ वक़्त ज़िन्दगी के
नज़ाकत से संवारिये .
है रौशनी से दोस्ती
ये तुमको- मुझको मालूम है
पर कभी अँधेरे की
मासूमियत को पहचानिये .
यूँ तो है ज़माने भर से
बेइंतेहा दुश्मनी
दुश्मनी के आईने में
कभी खुद को जानिये .
कुछ पल आराम के
कभी तो निकालिये...........
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