आज सुबह जब हवा चली
लगा की जैसे तुम आये ,
बाँहों में अपनी , तुम फिर से जैसे
प्यार भरा ज़माना साथ लाये.
कभी तो अनजाने एहसासों में
तुम जाना सा एहसास थे
आज अकेली रातों में
तुम प्यार भरा इक साथ लाये.
आज सुबह जब हवा चली
लगा की जैसे तुम आये...
दूर 'छितिज़' में तुम्हारी यादें
जब दिल से ओझल हो जानी हो
इन आँखों में तुम्हारा चेहरा-
मुस्कान न ओझल होने पाए.
आज सुबह जब हवा चली
लगा की जैसे तुम आये...
कुछ फूल वहां भी खिल जाते हैं
जहाँ तूफ़ान का आना- जाना हो
ऐसा है कुछ मेरा हाल
इंतज़ार तुम्हारा न थम पाए.
अगर कहीं हम रास्ते चलते
फिर से कहीं पर मिल जाएँ
कदम हमारे साथ चलेंगे
पुराना वही हम गीत गायें.
आज सुबह जब हवा चली
लगा की जैसे तुम आये ,
बाँहों में अपनी , तुम फिर से जैसे
प्यार भरा ज़माना साथ लाये..........................
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