आज तुम्हारा फिर से,
ऐसे आना हुआ
जैसे, किसी ख्वाब का
नींद से मिल जाना हुआ.
प्यार की किसी किताब में
तुम्हारा नाम लिखा हो,
और बे- अज़्म ही
मुझे उस किताब का मिल जाना हुआ.
इस बेजान सेहरा में,
सराब न धोखा दे पाया , मानो -
गोशे-गोशे में नदियों का -
मुझे मिल जाना हुआ.
खोखले ज़ज्बातों की आँधियों से
आज फिर सामना हुआ
पर, घर की दहलीज़ को छूते ही,
तुम्हारे आगोशे - तसव्वुर में, मुझे- मेरा,
खुद को सुकून लेते पाना हुआ.
आज तुम्हारा फिर से,
ऐसे आना हुआ................................................
बे- अज़्म - बिना किसी इरादे के. ( Unintentionally)
सहरा - मरुस्थल , रेगिस्तान ( Desert)
सराब - मृग- तृष्णा (Mirage )
गोशे-गोशे - कोने - कोने में ( in every corner)
आगोशे - तसव्वुर - कल्पनाओं की परिधि में.( Within a sphere of Imagination)
wow
ReplyDelete