कल की तरह -
आज मेरी ये शाम
फिर से तुम्हारे करीब है.
कल की तरह ,
आज भी इन नज़रों में
तुम्हारी ही नजीर है.
सुबह की ख़ुशगवार हवा में,
तुम्हारे होने का एहसास है
हाँ , मुझे पता है-
हवा में मुस्कराती,
तुम्हारी ही नमी है.
उस वक़्त का बीत जाना
अब रश्क़ नहीं देता
वही वक़्त बनकर वापस आ जाना
तुम्हारी खूबी यही है.
आज फिर से बैठा हूँ,
अपनी शाम के साथ
घर के इस दरवाज़े पर
कुछ भी तो नहीं बदला
देखो-
मेरा इंतज़ार अब भी वही है.
कल की तरह -
आज मेरी ये शाम
फिर से तुम्हारे करीब है..................
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