चंद एहसास ही तो हैं,
कुछ लफ्ज़ दे दो उन्हें.
कि वो भी दुनिया देख लेंगे.
चंद बेवजह- बातें ही तो हैं,
वक़्त दे दो उन्हें
कि वो भी अपना जहाँ ढूँढ लेंगे.
इन नादान क़दमों -
को ये पता ही न चला.
कि वो कब मंजिल की हसीन साज़िश का शिकार हो गए.
ये रास्ता अभी लम्बा है- इन क़दमों के लिए.
मुड़ कर अपने निशाँ देख लेने दो उन्हें.
कि वो भी ज़िन्दगी का सुकून ढूँढ लेंगे.
चंद एहसास ही तो हैं,
कुछ लफ्ज़ दे दो उन्हें.
कि वो भी दुनिया देख लेंगे.
.
No comments:
Post a Comment