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ये रात फिर हसीन है
कोई ख्वाब फिर करीब है.
झुलस गया था - दिल जो मेरा
इस दिन की बदहवास दौड़ में
दिल को लग रहा है कि अब
ज़िन्दगी करीब है.
सुबह का थका -सा उजाला
शाम को घर लौट रहा है
रात की गहराइयों में
पता है, उसे भी-
कि ज़िन्दगी नसीब है.
ये रात फिर हसीं है
कोई ख्वाब फिर करीब है..................
रात की गहराइयों में
ReplyDeleteपता है, उसे भी-
कि ज़िन्दगी नसीब है.
Bahut acchi line hain yeh... Suits me. Thanks for such a good poem.