अँधेरे के गोद में .
चलो अब शाम होने दो ...
उठेगा ये, जो अगली सुबह
कोई ख़ूबसूरत - सी रौशनी बनकर
चलो अब इस रात को संवरने - निखरने दो ...
ये , की हर बार लफ़्ज़ों से भी ,
बे- इन्तेहाँ उम्मीद बेमानी है
चलो इस बार उनको भी
खामोशियों की बाँहों में सुकून लेने दो ....
अब कितने राजों को दबाना होगा
दिल की गहरी तलहटी में ?
कोई तो है - जो है वहां भी
ये बेज़ान कोशिशें अब जाया होने दो ...
ज़ज्बातों के तूफ़ान में
मुलाकातों का दम तोडना ,
अक्सर लाज़मी है
शायद ये तूफ़ान अभी ज़ोरों पर है
चलो, इस तूफ़ान को अब थमने दो........
इस उजाले को सोना है
अँधेरे के गोद में .
चलो अब शाम होने दो .........
Beautiful composition...
ReplyDeleteReaaly the true colours of life...