चलो, इस ज़िन्दगी में -
इक नया आसमां,
खुद का बनाएं ..
कई सूरज -
जो दिन को रोशन करें
कई आफ़ताब -
जो रातों को सुरमयी बनाएं ..
रातों की गहराईयों से ,
जिनकी हम वाकिफ हों
सुबह की भीनी रौशनी में
हम खुद को ढूँढ पाएं..
चलो, इक नया आसमां-
खुद का बनाएं
जो हुक्मरानों सा तानाशाह न हो
जो हमारे माजी के ,
हर ज़र्रे को दिल से लगाये
चलो,ऐसा इक नया आसमां
खुद का बनाएं
जो छु लें हम अपने आसमान को
जब कभी भी दिल करे
जब कभी ज़मीं पर
हम उससे इश्क फरमायें ..
चलो, इक नया आसमां
खुद का बनाएं
जब दुनियां में राजदान ,
कोई मिल न पाए
किसी कुफ्र के दर से
खुद भी नज़रें चुराए
तब, अब्र का तकिया ,
जो हमारे सिराहने रख दे
और रातों के ज़रिये
हमारे भूले सपनो को बुलाये
चलो, इस ज़िन्दगी में ,
ऐसा ही, इक नया आसमां,
खुद का बनाएं ..........................
अब्र :- बादल ( clouds)
कुफ्र: - ईश्वर की निंदा , अनैतिकता (all the things unacceptable and offensive to god, infidelity )
माजी :- अतीत ( past )
आफ़ताब : - चाँद ( moon )
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