इन बेनाम शामों के दरम्यान
किसी का नाम फ़िज़ा में गूंजता है
कि जैसे कोई बात अधूरी रह गई हो
ये दिल , एक मुलाक़ात का लम्हा ढूंढता है
इन बेजान आवारा लफ़्ज़ों से ,
वो बात बयां तो हो न सकी
हज़ार जज़्बात जिसमे ढल जाएँ
ये दिल , वो एक अलफ़ाज़ हर कहीं ढूंढता है
नामों की इस भीड़ में ,
एक नाम बड़ा ही लाज़मी है
वो नाम गुमनाम हुए बस एक लम्हा हुआ
ये दिल , हर लम्हे में उस नाम का वजूद ढूंढ़ता है
इन बेनाम शामों के दरम्यान
किसी का नाम फ़िज़ा में गूंजता है ......
किसी का नाम फ़िज़ा में गूंजता है
कि जैसे कोई बात अधूरी रह गई हो
ये दिल , एक मुलाक़ात का लम्हा ढूंढता है
इन बेजान आवारा लफ़्ज़ों से ,
वो बात बयां तो हो न सकी
हज़ार जज़्बात जिसमे ढल जाएँ
ये दिल , वो एक अलफ़ाज़ हर कहीं ढूंढता है
नामों की इस भीड़ में ,
एक नाम बड़ा ही लाज़मी है
वो नाम गुमनाम हुए बस एक लम्हा हुआ
ये दिल , हर लम्हे में उस नाम का वजूद ढूंढ़ता है
इन बेनाम शामों के दरम्यान
किसी का नाम फ़िज़ा में गूंजता है ......
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