Friday, March 1, 2013

मैं जानता हूँ...........


मैं जानता हूँ-
आजकल -
एकाकी- पन की गोद में ,
वो खोई धुन, तुम गाती होगी .

मैं  पहचानता हूँ-
वो बेबस मुस्कान
जो दुनिया को,
तुम्हारे अधरों पर 
इक नूर सी नज़र आती  होगी .

मैं जानता हूँ कि -
किसी याद का दबे पाँव, 
हर रात -
तुम्हारे सपनों में, 
बेवजह आना  होता होगा
पर दिन के 'निर्जीव कोलाहल' में 
वो दूर तुमसे बिचड़ जाती होगी.

महसूस करता हूँ- 
मैं  अक्सर -
तुममे समाये उस 'शून्य' को.

मैं  जानता हूँ - 
उसमे समां जाने की ख्वाहिश 
तुम्हारे दिल में,
 आती होगी.

पर, मैं  सोचता हूँ-
 जब भी, 
तुम्हारे उन 'खूबसूरत लम्हों' को 
यकीन है मुझे ,
कि उनकी शरारत 
तुम्हारी  आँखों के,
किसी कोने में ,
एक हलकी सी चमक छोड़ जाती होंगी ....

मैं जानता हूँ-
आजकल -
एकाकी- पन की गोद में ,
वो खोई धुन, तुम गाती होगी ..............................


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