Friday, April 19, 2013

जब तुम्हारा आना होगा...................

खूबसूरत से कोई मोड़ पर ,
'सतरंगी शाम'  के दूजे छोर पर
मेरा तुमसे मिल जाना होगा
जब तुम्हारा आना  होगा...

'बात' में कोई ढूँढ लूँगा
'साज़'  में कोई छेड़ दूंगा
जब तुम्हारा आना होगा...

लम्हों  को करीने से सजाकर ,
लफ्ज़ होठों पर बिठाकर
मैं तुमसे कुछ पूछ लूँगा
जब तुम्हारा आना होगा

कोई न हकीकत की बातें होंगी
न ही कोई फरियादें होगी
जो तुम मुझको देख लोगी
जो मैं  तुमको देख लूँगा
जब तुम्हारा आना  होगा...

एक और फासले का बवंडर
रास्ता तुम्हारा रोक न ले
खैरियत में होंगी सांसें
जब तुम्हारा आना  होगा...

रोज न होगी ऐसी बातें
न ही ऐसी मुलाकातें
इस 'लम्हे' को अपनी परछाई बनाकर
राह मैं अपनी बढ़ चलूँगा
जब तुम्हारा आना  होगा....................






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