Thursday, July 11, 2013

एक परिंदा बाकी है.

शाम हो चुकी है बेशक पर-
आसमान में एक परिंदा बाकी है
उड़ रहा है अनंत दिशा में
जबकि कोशिशें नाकाफी है

एक  गाँव जल था परसों - नरसों
ख़ाक मिटटी तक हो गई थी
पर, वो गाँव कह रहा है अब भी -
वहां एक बाशिंदा बाकी है .

कई इम्तेहानों के शोलों  से
बेपरवाह गुज़रे हैं अक्सर ,
सामने शायद धुआं - सा है
यही आखिरी इम्तेहान बाकी है

किसी  दूजे जहाँ की खुशब अक्सर
हवाओं में बहती आती है
दिल के दरवाज़े खोल दो-
 अब बस इसका मचलना बाकी है .....

शाम हो चुकी है बेशक पर-
 आसमान में एक परिंदा बाकी है......

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