Wednesday, October 24, 2012

आज तुम्हारा फिर से, ऐसे आना हुआ


आज तुम्हारा फिर से,

 ऐसे आना हुआ
जैसे, किसी ख्वाब का 
नींद  से मिल जाना हुआ.

प्यार की किसी किताब में

तुम्हारा नाम लिखा हो,
और बे- अज़्म ही
मुझे उस किताब का मिल जाना हुआ.

इस बेजान सेहरा में,

सराब न धोखा दे पाया , मानो -
गोशे-गोशे में नदियों का -
मुझे मिल जाना हुआ.

खोखले  ज़ज्बातों की आँधियों से

आज फिर सामना हुआ
पर, घर की दहलीज़ को छूते ही,
तुम्हारे आगोशे - तसव्वुर में, मुझे- मेरा,
खुद को सुकून  लेते पाना हुआ.

आज तुम्हारा फिर से,

 ऐसे आना हुआ................................................





 बे- अज़्म  -  बिना किसी इरादे के. ( Unintentionally)

सहरा    - मरुस्थल , रेगिस्तान ( Desert)

सराब   -  मृग-  तृष्णा (Mirage )

गोशे-गोशे  -     कोने - कोने में ( in every corner)

 आगोशे - तसव्वुर -    कल्पनाओं  की परिधि में.(  Within a sphere of Imagination)



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