Thursday, November 29, 2012

RETURNING HOME..........


ये रात फिर हसीन है 
कोई ख्वाब फिर  करीब है.
झुलस गया था - दिल जो मेरा
इस दिन की बदहवास दौड़ में
दिल को लग रहा है कि अब
ज़िन्दगी करीब है.

सुबह का थका -सा उजाला
शाम को घर लौट रहा है
रात की गहराइयों में 
 पता है, उसे भी-
कि ज़िन्दगी नसीब है.

ये रात फिर हसीं है 
कोई ख्वाब फिर  करीब है..................




1 comment:

  1. रात की गहराइयों में
    पता है, उसे भी-
    कि ज़िन्दगी नसीब है.

    Bahut acchi line hain yeh... Suits me. Thanks for such a good poem.

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