Monday, November 26, 2012

वो रास्ता


जिस रस्ते हमारी -
जवानी चल रही है,
उसके नज़दीक 
एक और रास्ता गुज़रता है.
कल उस पर हमारा 
बचपन चला करता था
आज वो रास्ता बेजान पड़ा है

जिस रस्ते हमारी 
ख़ामोशी चल रही है

उसके नज़दीक 
एक और रास्ता गुज़रता है
कल उस पर हमारी 
आवाजें चला करती थीं 
आज वो रास्ता खामोश पड़ा है.

दिन के उजाले में 
इन अनचाहे रास्तों पर
दुनिया का कारोबार 
 अक्सर दमकता है.
शाम का आँचल मुस्कुराते ही
हमारे इंतज़ार में 
देखो वो  मासूम रास्ता 
बाहें फैला  कर  खड़ा है...........................


3 comments:

  1. Bhaai is dil k dard ko koi pehchaan kyu nahi deta... superb.... Really heart touching

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  2. seriously, it has really touched the untouched chord of my heart...:)

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