Monday, December 2, 2013

"A COURAGEOUS HOPE"

यूँ ही न वो  मुझसे,
 मिलने आया होगा
किसी लम्हे की साज़िश ने ही
फिर से हमको मिलवाया  होगा

वो कौन मेरा हमसफ़र था
जिसे मेरी बेपनाह चाह थी?
दिल की मासूमियत जानती है
शायद वो मेरा साया होगा

 वो अल्हड़ बातें तो -

उस बेपरवाह दौर की थीं
किसी लम्हा, इस जिम्मेदार दिमाग को भी
उनका बेसबब  ख्याल आया होगा

इन बेरहम हक़ीक़तों के होते
शायद, ये ज़िन्दगी जी न पाती
पर, उनसे आँखें मिलाने का ज़ज्बा
किसी रात एक 'जांबाज़ सपना' बनकर आया होगा

क्या हुआ गर- जो मिल न पाया
कोई जवाब अपने सवाल से ,
इक मासूम- सी  उम्मीद है  कि किसी 'ठुकराये सवाल' को
उस जवाब ने अपना हमसफ़र  बनाया होगा

यूँ ही न वो  मुझसे,
 मिलने आया होगा
किसी लम्हे की साज़िश ने ही
फिर से हमको मिलवाया  होगा .......................

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