Sunday, July 19, 2015

आज फिर किसी का ख्याल है

आज    फिर  किसी  का  ख्याल  है
 पर शायद  फिर  वही  सवाल  है ..
 उसी  दो - राहे  पर  दिल  है  आज
जिसके पास, आज  फिर  से  न कोई  कोई  जवाब  है

इन   खामोशियों  में  सिमटती  मेरी  सांसें
पूछती   हैं  -ये  कौन सा  नया  मेहमान  है
इस  तूफ़ान  में  फिर  से  बेनिशाँ  होगा  उसका  जहाँ
ये  दिल - ए- शहर ,आज  फिर  उसी  तरह  तैयार  है

कौन से निशां छोड़ जायेंगे उसके कदम
आज ये किसे  परवाह है
क्योंकि -आज इस दिल को फिर किसी का ख्याल है
पर शायद  फिर वही सवाल है .-












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