Tuesday, October 13, 2015

गुमशुदा सी इस वादी में ..

गुमशुदा सी इस  वादी में ,
उस जैसा कोई यहाँ भी था!

दुनिया ने जिसे एक ख्वाब कहा था -
उस ख्वाब में, हकीकत का एक समाँ भी था!

उन अमीर राहों ने न अपनाया जिसे ,न मंज़िलों ने ही पनाह दी
जो दो पल रुक कर देखा तो -एक खामोश रास्ता यहाँ भी था!

इस बंज़र ज़मीन से आज तो गुल यूँ ही  नाराज़ है
पर सुना है- इस बंज़र ज़मीन का, अपना कोई आसमान भी था !

गुमशुदा सी इस  वादी में ...







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