Sunday, December 13, 2015

Quest

इन  बेनाम  शामों  के  दरम्यान
किसी  का  नाम  फ़िज़ा  में  गूंजता  है
कि जैसे  कोई  बात  अधूरी  रह  गई  हो
ये  दिल , एक  मुलाक़ात  का  लम्हा  ढूंढता  है


इन  बेजान  आवारा  लफ़्ज़ों  से ,
 वो  बात  बयां  तो  हो  न  सकी
हज़ार  जज़्बात  जिसमे  ढल  जाएँ
ये  दिल , वो  एक अलफ़ाज़   हर  कहीं  ढूंढता  है


नामों  की  इस  भीड़  में ,
एक  नाम   बड़ा ही   लाज़मी  है
वो   नाम  गुमनाम  हुए  बस  एक  लम्हा  हुआ
ये  दिल , हर लम्हे में   उस  नाम  का वजूद  ढूंढ़ता  है

इन  बेनाम  शामों  के  दरम्यान
किसी  का  नाम  फ़िज़ा  में  गूंजता  है ......






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